रुब्रिक



                                       रुब्रि 

प्रस्तवाना-


  शिक्षण कार्य में समूह रूप से समझाना अर्थात  योग्य रूप  से वर्तन . विकासात्मक क्रमाकं के लिए रुब्रिक. यह मेडिकल में से प्रयोग हुआ है.

1970  में परीक्षण के लिए सबसे पहले रुब्रिक के बारे में बता गया. जिसका मूल हेतु बालको में स्वचिन्तन एवम् स्वमुल्याकन का कार्य. इस प्रक्रिया के लिए रुब्रिक अर्थार्त टेबल मेट्रिक्स की रचना 
विधार्थी के कार्य  का योग्य रूप से मूल्याकन करने के लिए.
जो विधार्थी के कार्य का मूल्याकन करे तथा ज्ञान की प्राप्ति प्रक्रिया में शुरुआत से अंतिम तक विविध स्तरों से स्वरूप को दर्शाता है.



 रुब्रिक के प्रकार-


  1.      आड़ी हरोड़
  2.       उभु खानु
  3.        कोष
  आड़ी हरोड़-  

जो मुल्याकन के परिणामो को दर्शाता है. जो प्राप्त परिणामो के आधार पर किया जाता है.
प्रत्येक आड़ी हरोड़ जो कोई योग्य परिणामो को दर्शाता है. जिसमे अर्थ लक्षण मुख्य गुण आदि इस परिणमो के मापदंड तरीके जाना जाता है.

   उभु खानु-


मेट्रिक्स के टेबल के उभु खानु में जो मापदंड विधार्थीयो के स्टार दर्शाने के लिए चार की पाच सूचनात्मक अंक के लेटर रखने में आता है.

जैसे की खुबसरस, सामान्य ,सरस, खूब, आदि.

मेट्रिक्स के टेबल के आधार में दर्शाया इस माहिती के संकलन आधार विधार्थियों के कार्य का मूल्याकन करने में आता है.

    कोष-


आड़ी हरोड़ एवं उभा खाना जहा मिलता है उसे कोष कहते है.
प्रत्येक कोष में आड़ी हरोड़ एवं उभा खाना ध्यान में रखकर लिखने में आता है. जो सभी मानदंड स्पष्टीकरण करता है.
जहा अनुकूलता के अनुसार आड़ी हरोड़ और उभा खाना में दर्शाये हुए चीजो को पसंद कर सकते है.










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